MP News: सरकार थानों की तरह जल्द ही जिला, संभाग, तहसील और ब्लॉक जैसी प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं का भौगोलिक आधार पर नए सिरे से पुनर्गठन कराने जा रही है। अक्टूबर 2024 के अंत तक इस दिशा में काम शुरू हो जाएगा। इसके लिए गठित प्रशासनिक पुनर्गठन इकाई आयोग में नियुक्तियों को लेकर तैयारियां तेज कर दी हैं।
100 से 150 किमी का लगाना पड़ता चक्कर
बीना और जुन्नारदेव समेत प्रदेश के क्षेत्रों में नए जिले बनाने की मांग उठ रही है। बीना-खुरई में तो लोग सड़कों पर आ चुके हैं। इसकी वजह पूर्व में गठित प्रशासनिक इकाइयों की सीमा निर्धारण में खामी है। कई टोले, मजरे व पंचायतों के लोगों को जिला, संभाग, तहसील, विकासखंड जैसे मुख्यालयों तक पहुंचने के लिए 100 से 150 किमी का चक्कर लगाना पड़ रहा है। जबकि ऐसे क्षेत्रों से सटे हुए दूसरे जिले, संभाग, विकासखंड व तहसील मुख्यालय नजदीक हैं।
लोग खा रहे चक्कर, अब बीना उसी चक्कर में उलझा
बीना को 1968 से जिला बनाने की मांग उठती रही है। क्षेत्रीय विधायक निर्मला सप्रे ने यह मांग विधानसभा में उठाई थी। बीना का जिला बनना लगभग तय था, इसी बीच अन्य जिलों की मांग भी उठने लगी। सूत्रों के मुताबिक जब सरकार ने इन मांगों का परीक्षण कराया तो पता चला कि पूर्व में बने कुछ जिलों, संभागों समेत अन्य इकाइयों की सीमाओं में खामियां हैं।
इसका नुकसान आम जनता को उठाना पड़ रहा है। इस आधार पर बीना को जिला बनाने का प्रस्ताव फिलहाल अटक गया है। अब इस पर प्रशासनिक पुनर्गठन इकाई आयोग की रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।
ऐसे समझें खामियां
- अभी बुदनी तहसील का जिला मुख्यालय सीहोर है। जबकि भौगोलिक आधार पर तहसील मुख्यालय नर्मदापुरम जिले से सटा है, लेकिन बुदनी क्षेत्र के लोगों को जिला मुख्यालय से जुड़े कामों के लिए सीहोर जाना पड़ता है
- सांची का जिला मुख्यालय रायसेन है, जबकि भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो विदिशा नजदीक पड़ता है। सांची व आसपास के लोगों को जिला मुख्यालय से जुड़े कामों के लिए रायसेन जाना पड़ता है।
आयोग में राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारी होंगे
प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग में राजनीतिक व प्रशासनिक दोनों क्षेत्र के लोग होंगे। अधिकारी कौन होंगे, यह पहले से तय है, लेकिन अब राजनीतिक क्षेत्र से किन्हें जिम्मेदारी दी जाएगी, यह तय किया जाना बाकी है।