Same-sex marriage: इस वक्त की बड़ी खबर थाईलैंड से आई है। थाईलैंड में सेम सेक्स मैरिज को मंजूरी मिल गई है। थाईलैंड के राजा महा वजीरालोंगकोर्न ने संसद से पास समलैंगिक विवाह विधेयक को शाही स्वीकृति दे दी है। इसी के साथ ही थाईलैंड में अब सेम सेक्स मैरिज को मान्यता मिल गई है। जनवरी 2025 में थाईलैंड के भीतर समलैंगिक विवाह हो सकेंगे।
आधिकारिक तौर पर थाईलैंड दक्षिण-पूर्व एशिया का पहला देश और एशिया में समलैंगिक जोड़ों के विवाह को मान्यता देने वाला तीसरा देश बन गया है। मंगलवार की देर रात को आधिकारिक शाही राजपत्र में शाही समर्थन प्रकाशित किया गया। इसका मतलब है कि यह विधेयक अगले 120 दिनों में लागू हो जाएगा।
थाईलैंड के भीतर लंबे समय से समलैंगिक विवाह के अधिकार की मांग चल रही थी। पिछले दो दशकों के भारी प्रयास के बाद इसी साल जून महीने में यह विधेयक संसद के अंदर पास हुआ था। इस कानून के पास होने को कार्यकर्ताओं की जीत बताई जा रही है। एशिया के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक थाईलैंड पहले से ही अपनी LGBTQ संस्कृति और सहिष्णुता के लिए जाना जाता है। ताइवान और नेपाल के बाद थाईलैंड एशिया का तीसरा ऐसा स्थान बन गया है, जहां समलैंगिक जोड़े विवाह बंधन में बंध सकते हैं।
बता दें कि थाईलैंड में तीन महीने पहले ही समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता मिल गई थी। थाई संसद में मंगलवार (18 जून) को इस बिल पर वोटिंग हुई। इस दौरान 130 सांसदों ने इसके पक्ष में तो 4 ने इसके खिलाफ वोट किया था। कुछ सांसदों ने इससे दूरी बनाई थी। थाईलैंड ऐसा करने वाला दक्षिण पूर्व एशिया का पहला ऐसा देश बन गया था। संसद में विधेयक पारित होने के बाद बिल को राजा महा वजिरालोंगकोर्न के पास मान्यता देने के लिए भेजा गया था। मंगलवार को थाईलैंड के राजा महा वजीरालोंगकोर्न ने संसद से पास समलैंगिक विवाह विधेयक को शाही स्वीकृति दे दी। इसे के साथ ही अब इसे तीन महीने के अंदर देश में लागू कर दिया जाएगा।
नीदरलैंड ने सबसे पहले समलैंगिक विवाह मान्यता देने वाला देश बना था। साल 2001 में नीदरलैंड समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाला पहला देश बना था, जिसके बाद दुनिया भर में 30 से अधिक देशों ने सभी के लिए विवाह को वैध बना दिया है।
दुनिया में समलैंगिकों की मौजूदा स्थिति क्या है?
- PEW रिसर्च सेंटर ने LGBTQ+ समुदाय पर रिसर्च करने के बाद बताया कि कनाडा में सबसे ज्यादा 85% और US में 72% लोग LGBTQ+ को स्वीकार करते हैं।
- लंबी लड़ाई के बाद आज फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, अमेरिका समेत दुनिया के 31 देशों के संविधान में सेम सेक्स के बीच शादी लीगल है।
- भारत में 2018 तक सेम सेक्स के बीच शादी अपराध थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश में IPC की धारा 377 के तहत समलैंगिकों के बीच शारीरिक संबंध अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया।
- मूड ऑफ द नेशन के सर्वे के मुताबिक भारत में 62% लोग सेम सेक्स के बीच शादी को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। इससे जाहिर होता है समाज अब भी LGBTQ+ को पूरी तरह स्वीकार नहीं करना चाहता है।
- यमन, ईरान, ब्रुनेई, नाइजीरिया, कतर समेत दुनिया के 13 देशों में आज भी सेम सेक्स रिलेशन वाले जोड़ों को मौत की सजा दी जाती है।
भारत में सुप्रीम कोर्ट ने सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था
सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर 2023 को सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था। 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा था कि कोर्ट स्पेशल मैरिज एक्ट में बदलाव नहीं कर सकता। कोर्ट सिर्फ कानून की व्याख्या कर उसे लागू करा सकता है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों में बदलाव की जरूरत है या नहीं, यह तय करना संसद का काम है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस रविंद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी। जस्टिस हिमा कोहली को छोड़कर फैसला चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस कौल, जस्टिस भट और जस्टिस नरसिम्हा ने बारी-बारी से फैसला सुनाया था।