IMRAN KHAN. ग्वालियर, मध्य प्रदेश। 400 कमरों वाला जयविलास पैलेस, जिसकी कीमत करीब 4000 करोड़ रुपये है, उसमें रहने वाला एक युवराज, जिसके पास शाही विरासत और अपार संपत्ति है, वह अगर खुद सब्जी बेचते हुए दिखे, तो यह किसी कहानी से कम नहीं लगता। लेकिन यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि सच्चाई है – नाम है महानार्यमन सिंधिया, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे और ग्वालियर के शाही परिवार के उत्तराधिकारी।
महानार्यमन ने अपनी रॉयल लाइफस्टाइल को पीछे छोड़ते हुए, मेहनत की राह चुनी है। उन्होंने अपने दोस्त सूर्यांश राणा के साथ मिलकर 2022 में ‘माईमंडी’ नामक स्टार्टअप शुरू किया, जो सब्जी और फल विक्रेताओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ता है। यह पहल न केवल किसानों और विक्रेताओं की मदद करती है, बल्कि उपभोक्ताओं तक ताजे उत्पाद सस्ते और सरल तरीके से पहुंचाती है।
शिक्षा: किताबों से परे सोचने वाला युवराज
महानार्यमन की शिक्षा भी उतनी ही प्रभावशाली है जितनी उनकी सोच। दून स्कूल, देहरादून से शुरुआती पढ़ाई करने के बाद उन्होंने अमेरिका की प्रतिष्ठित येल यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में स्नातक की डिग्री ली। इसके बाद लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से वैश्विक राजनीति का गहन अध्ययन किया। भूटान के राजा जिग्मे नामग्याल वांगचुक के साथ इंटर्नशिप के दौरान उन्होंने मानवता और सेवा का वास्तविक अर्थ समझा।
शाही ठाठ के साथ सादगी की मिसाल
जयविलास पैलेस की शाही दीवारों के बीच रहने वाले महानार्यमन का जीवन बेहद सादा और जमीन से जुड़ा हुआ है। वे खुद ग्वालियर की गलियों में दुकानदारों से मिलते हैं, स्टार्टअप की बात करते हैं, और आम लोगों की तरह जीवन जीते हैं। ग्वालियर डिवीजन क्रिकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष के रूप में भी वे सक्रिय भूमिका निभाते हैं।
वे हर साल अपने दादा, स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की स्मृति में 12 किलोमीटर की मैराथन आयोजित करते हैं, जिसमें हजारों लोग भाग लेते हैं। इससे साफ होता है कि वे सिर्फ विरासत के वारिस नहीं, बल्कि प्रेरणा के स्रोत भी हैं।
संगीत, खाना और संस्कृति से लगाव
महानार्यमन को संगीत और खाना बनाने का बेहद शौक है। बचपन में वे शेफ बनना चाहते थे और आज भी बिरयानी से लेकर जापानी व्यंजनों तक में हाथ आजमाते हैं। उनकी सांस्कृतिक पहल ‘प्रवास’ में संगीत, कला और भोजन का सुंदर संगम देखने को मिलता है।
राजनीति से दूरी, समाज सेवा से जुड़ाव
जहां उनके पिता देश के बड़े नेता हैं, वहीं महानार्यमन फिलहाल राजनीति से दूर रहना ही पसंद करते हैं। उनका मानना है कि बदलाव सिर्फ सत्ता में रहकर नहीं, बल्कि समाज के साथ मिलकर भी लाया जा सकता है। वे दिखावे से दूर रहते हैं और असली मेहनत में विश्वास रखते हैं।
प्रकृति प्रेम और जैविक खेती
प्रकृति से उनका गहरा जुड़ाव है। उन्होंने अपने परिवार की ज़मीन पर जैविक खेती शुरू की है, जहां मौसमी फल और सब्जियां उगाई जाती हैं। वे ग्रामीण इलाकों में क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए एक नई लीग शुरू करने की भी योजना बना रहे हैं।
निष्कर्ष
महानार्यमन सिंधिया की कहानी बताती है कि असली शाहीपन ताज और सत्ता में नहीं, बल्कि जमीन से जुड़े रहकर समाज को बेहतर बनाने में है। वे आज की युवा पीढ़ी के लिए एक जीवंत प्रेरणा हैं – जिनके पास सब कुछ होते हुए भी उन्होंने खुद मेहनत का रास्ता चुना और मिसाल कायम की।