नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार के लिए स्कूल शिक्षा विभाग अब नया प्रयोग करने जा रहा है।
विद्यार्थी जो पढ़ाई में कमजोर हैं, उनकी अलग से कक्षाएं लगाई जाएंगी। इसके लिए कक्षाओं में बकायदा अलग सुपर सेक्शन बनेगा और शिक्षक भी अलग से तैनात होंगे। साप्ताहिक और मासिक टेस्ट भी होगा। प्रति सप्ताह मूल्यांकन करके जहां कमी है, उसे दूर करने पर फोकस किया जाएगा।शिक्षा की गुणवत्ता और परीक्षा परिणाम में सुधार के लिए स्कूल शिक्षा विभाग राज्य ओपन बोर्ड के साथ मिलकर काम करेगा। इनके लिए ओपन स्कूल चलाया जाएगा। इस व्यवस्था का उद्देश्य मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10 वीं कक्षा का परिणाम सुधारना है। मप्र बोर्ड की 10 वीं का परिणाम पिछले छह वर्षों में इस वर्ष सबसे खराब रहा था। 10 वीं का परिणाम 58.10 प्रतिशत रहा है। साथ ही इस साल से बेस्ट आफ फाइव योजना भी समाप्त कर दी गई है।
अलग से लगेंगी कक्षाएं
नौवीं कक्षा में फेल विद्यार्थियों की अलग से कक्षाएं लगाई जाएंगी। सभी विषयों की पढ़ाई के लिए शिक्षक लगाए जाएंगे। साप्ताहिक और मासिक टेस्ट के साथ ही तिमाही और छमाही परीक्षा की उत्तरपुस्तिकाओं से एक-एक सवाल पर चर्चा की जाएगी। शिक्षकों को भी प्रशिक्षित किया जाएगा कि कमजोर विद्यार्थियों को कैसे पढ़ाया जाना चाहिए।