MP NEWS : मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के सारंगपुर में एक दर्दनाक और चौंकाने वाली घटना में 35 वर्षीय पत्रकार सलमान अली की हत्या कर दी गई। यह घटना मंगलवार देर शाम की है, जब सलमान अपने 9 साल के बेटे फुरकान के साथ घर लौट रहे थे। इस हत्या ने न केवल पत्रकारिता जगत बल्कि समूचे लोकतंत्र को झकझोर कर रख दिया है, जो अपनी आवाज उठाने और सच को सामने लाने के लिए संघर्ष कर रहा है।
घटना का सबसे दुखद और मार्मिक पहलू यह है कि सलमान के हत्या के समय उनका मासूम बेटा फुरकान भी उनके साथ था, जिसने अपने पिता को अपनी आंखों के सामने खो दिया। ऐसी भयावह स्थिति में एक 9 साल के बच्चे की मानसिक अवस्था की कल्पना करना भी मुश्किल है।
मामले में पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल
हत्या के लगभग 60 घंटे बाद भी पुलिस इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाई है। पुलिस अभी भी सबूत जुटाने के प्रयास में लगी है, जबकि हत्यारे पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। विपक्ष ने इस मामले को लेकर सरकार पर तीखे हमले किए हैं, जबकि सत्तापक्ष ने केवल घटना की निंदा करते हुए अफसोस जाहिर किया है।
पत्रकारिता पर हो रहे हमले: लोकतंत्र का खतरा
यह घटना पत्रकारिता पर हो रहे हमलों की एक और कड़ी है, जो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही है। पत्रकार जोखिम में रहकर खबरें प्रकाशित करते हैं, जिनसे समाज में जागरूकता आती है, लेकिन यह भी सच है कि उनकी रिपोर्टिंग से कई बार कुछ शक्तिशाली लोग नाराज़ हो सकते हैं। इसका मतलब यह नहीं कि पत्रकारों की आवाज को दबाने के लिए उनके जीवन को ही समाप्त कर दिया जाए।
सरकार और प्रशासन की भूमिका पर सवाल
इस घटना ने न केवल स्थानीय प्रशासन बल्कि राज्य सरकार की निष्क्रियता पर भी सवाल खड़े किए हैं। सवाल यह है कि क्या सरकार और प्रशासन पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहे हैं, या फिर ये घटनाएं केवल निंदा के कुछ शब्दों के साथ दबा दी जाती हैं?
पत्रकार सलमान अली की हत्या ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि लोकतंत्र में पत्रकारों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाएगी और क्या सरकार इस प्रकार की घटनाओं पर गंभीरता से ध्यान देगी।
निष्कर्ष
लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारिता पर हो रहे हमले न केवल एक व्यक्ति पर हमला है, बल्कि यह एक समूचे लोकतांत्रिक तंत्र पर चोट है। सलमान अली की हत्या का मामला सरकार और प्रशासन के लिए एक गंभीर चुनौती है। उम्मीद है कि इस मामले में जल्द ही न्याय मिलेगा, ताकि पत्रकारों के मन में सुरक्षा और स्वतंत्रता का विश्वास कायम रहे।