MP NEWS : मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियों में डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया और जीका वायरस प्रमुख है। अब ग्वालियर में पहली बार जापानी इंसेफेलाइटिस का खतरा भी मंडराने लगा है। जिले में जापानी बुखार(Japanese Fever) का पहला मामला सामने आया है। जिसके बाद से ही स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। आनन-फानन में जानकारी मिलते ही स्वास्थ्य विभाग ने अपनी टीम भेजकर पीड़िता के घर के आसपास सर्वे शुरू कर दिया है।
सागरताल टंकी वाले हनुमान मंदिर के समीप शासकीय आवास निवासी 14 वर्षीय सोनम जाटव को कुछ दिन पहले तेज बुखार, सिर दर्द व उल्टी हो रहीं थीं। परिजनों ने पहले तो पास में ही किसी डॉक्टर से उपचार कराया लेकिन कुछ दिनों के बाद सोनम के सिर में दर्द व दौरे पड़ने लगे। इतना ही नहीं सोनम ठीक से हाथ भी नहीं चला पा रही थीं। इस पर परिजन उसे जेएएच के हजार बिस्तर अस्पताल लेकर पहुंचे और भर्ती कराया। वहां डॉक्टरों ने जापानी इंसेफेलाइटिस(Japanese Fever) की संभावना जताते हुए जीआरएमसी के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में जांच कराई तो उसे संक्रमण निकला।
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जापानी बुखार से पीड़ित लड़की को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लड़की को पिछले कई दिनों से बुखार व उल्टी होने के साथ ही सिर में दर्द व दौरे पड़ने लगे थे। हालांकि अब बच्ची पहले से स्वास्थ्य है और उसकी छुट्टी कर दी गई है।
लार्वा नियंत्रण के लिए पहुंची टीम
बच्ची के संक्रमित निकले के बाद सीएमएचओ जिला स्वास्थ्य अधिकारियों और महामारी विशेषज्ञों को लार्वा नियंत्रण के उपायों को तेज करने और जापानी इंसेफेलाइटिस(Japanese Encephalitis) के प्रसार को रोकने के लिए जागरुकता अभियान शुरू करने का निर्देश दिया है। वहीं एक टीम को पीड़िता के घर के आसपास भेजा है। इसके साथ ही मच्छरों से निपटने की दिशा में भी कदम उठाए जाने का निर्देश दिया है।
इन्सेफेलाइटिस कैसे फैलता है
जापानी इंसेफेलाइटिस(Japanese Encephalitis) एक ऐसी बीमारी है, जो मच्छरों के काटने से फैलता है। ये मच्छर फ्लेविवायरस संक्रमित होते है। यह संक्रामक बुखार नहीं है। यह एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलता है। विशेषज्ञों की माने तो जापानी इंसेफेलाइटिस पूर्वांचल भारत में अधिक होता है। इस बुखार का पता मच्छर के काटने के पांच से 15 दिनों में दिखाई देता है।
यह हैं लक्षण
- तेज बुखार आना
- गर्दन में अकड़न होना
- सिर दर्द होना
- घबराहट होना
- ठंड के साथ कंपकपी आना
- कोमा में जाने का खतरा